मन्दार-मधुसूदन महिमा / भाग ५ / महेश्वर राय
सुन्दर मन्दर गिरि....
मन्दराचल कुटिया मे कन्व ऋषि वास करे
कन्व-कन्या शकुन्तला विचरण सहास करे
दुष्यन्त गन्धर्व विवाहै मधुसूदना॥41॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
समुद्र-मन्थनमा से मन्दर पावन भेलै
ओकरे मैदनमा में मधुसूदन बसि गेलै
मन्दराचल की गरिमा बढ़ावै मधुसूदना॥42॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
मकर-संक्रान्ति के दिनमा पावनमा रे
देहधरी देव करे सरोवर-स्ननमा रे
मन्दरारोहण देवता करावै मधुसूदना॥43॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
मानधाता मन्दर गिरि माधव नमन करे
शुद्ध मनसा राजा हरि जल-अर्पण करे
राजा चक्रवर्ती बनावै मधुसूदना॥44॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
सावन महिनमा में पाण्डवगण मन्दार ऐलै
मास भर घूरी-फिरी नारायण के पूजन कैलै
महाभारत जितवा दिलावै मधुसूदना॥45॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
विश्वकर्मा घाट रचे गोल पुष्करणी में
सुन्दरी नहाए-धोए कुण्ड पापहरणी में
नारी के स्वरूप निखारै मधुसूदना॥46॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
चौदहों रतनमा में गरल प्रधनमा रे
देवासुर विनय करे शिवजी महनमा रे
भंगिया गरलवा घोटावै मधुसूदना॥47।
सुन्दर मन्दर गिरि....
तरल गरल पीबी शिवजी वेकल भेलै
छटपट कैने बाबा मधुसूदन लिग गेलै
शिवजी कै गलवा ले पटावै मधुसूदना॥48॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
कृपालु दयालु हरि किए शिव-विष-हरण
तकरे प्रभाव खींची भए खुद श्यामवरण
शिवजी कै शंकर बनावै मधुसूदना॥49॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
चकित सुरगण धाए, ब्रह्मा, इन्द्र, गरूड आए
योग आई, माया आई, नारायण मन भाए
योग-माया संग में बसावै मधुसूदना॥50॥