मन्दार-मधुसूदन महिमा / भाग ७/ महेश्वर राय
सुन्दर मन्दर गिरि....
हर दिन भगता नहावै मधुसूदना रे
विमल परिधनमा पिन्हावै दुःखमोचना रे
सुअन्न के भोगवा लगावै मधुसूदना॥61॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
भगता प्रसाद पावै, धन्य होवै, गुण गावै
तुलसीदल, फूल-फल, श्रद्धाफेटी जे चढ़ावै
नाशै दुःख भाग चमकावै मधुसूदना॥62॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
गुरू-पूर्णिमा के रे दिनमा पावनतर
दिनमनि भाष्कर सतभिष नछत्र पर
चरणामृत त्रिताप छोड़ावै मधुसूदना॥63॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
आषाढ़ मासे शुक्ल पक्षे दुतिया के दिनमा रे
रथयात्रा मन मोहे मन्दर आँगनमा रे
अक्षय पुण्य फलवा लुटावै मधुसूदना॥64॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
वोही दिन देवगण नररूपधरी आवै
नारीरूप देवांगना हरि-दर्शन पावै
देवलोक बाँसी उतारै मधुसूदना॥65॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
सृष्टि के पहिले ही मन्दर उत्पन्न भेलै
मधुसूदन मन्दिर से मन्दर सम्पन्न भेलै
मधुमारी विष्णुजी कहावै मधुसूदना॥66॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
तीन रे चरण-चिन्ह मन्दर गिरि पै शोभै
सरस्वती, लछमी औ’ नारायण मन लोभै
मकर मेला आरोहण करावै मधुसूदना॥67॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
अन्तस्तल में मन्दराचल के हरि दरबार छाजै
देवता के ढोलवा, मृदंगवा औ’ झाल बाजै
गीत सुरलहरी सुनावै मधुसूदना॥68॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
मनोहारी वन, उपवन गिरि मन्दर में
अम्बिका औ’ दुर्गा निवास करे अन्दर में
कामधेनु मन्दिर देखावै मधुसूदना॥69॥
सुन्दर मन्दर गिरि....
मन्दराचल मेरूदण्ड अष्ट-कमल-दल
मन्दाराचल सिद्ध करे सागर-चैतन्य-बल
बासुकी के चिन्हमा सुझावै मधुसूदना॥70॥