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मन्दिर में छिपकर कविता लेखन / मिंग दी
Kavita Kosh से
एक बड़े मन्दिर में छिपकर
कविताएँ लिखती हूँ
जब
चाहती हूँ शान्ति
ईश्वर
मेरा मुँह खोल देता है
जब
कुछ कहना चाहती हूँ
वो आदेश देता है
मुँह बन्द रखने का।