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मन-1 / दुःख पतंग / रंजना जायसवाल
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घोड़े की तरह दौड़ता है
बहता है
नदी की तरह उछलता है
तरंगों-सा
बनती-बिगड़ती
टूटती-जुड़ती रहती हैं
लहरें।