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मन का है विश्वास तुम्ही से / धीरज श्रीवास्तव

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मन का है विश्वास तुम्ही से!
मेरी जीवित आस तुम्ही से!

मुझ पर हो उपकार सरीखी
अम्मा के व्यवहार सरीखी
दीप तुम्ही हो दीवाली के-
होली के त्यौहार सरीखी!
सारा है उल्लास तुम्ही से
मन का है विश्वास तुम्ही से

फूलों के आकार सरीखी
लगती हो गुलनार सरीखी
उपवन की सब खुश्बू तुममें-
तुम जूही कचनार सरीखी!
सारा है मधुमास तुम्ही से
मन का है विश्वास तुम्ही से

सब यारों के यार सरीखी
तुम ताजे अखबार सरीखी
शीतल मंद हवाओं-सी तुम-
सावन की बौछार सरीखी!
मिटती है हर प्यास तुम्ही से
मन का है विश्वास तुम्ही से

सीता के परिहार सरीखी
गीता के उद्गार सरीखी
मेरी दुनिया निर्भर तुम पर-
दिल की हो आधार सरीखी!
होठों का है हास तुम्ही से
मन का है विश्वास तुम्ही से

ईश्वर के उपहार सरीखी
नइया की पतवार सरीखी
प्रेरक हो इन प्राणों की तुम-
जीवन का हो सार सरीखी!
मेरी हर इक साँस तुम्ही से
मन का है विश्वास तुम्ही से