मन पछितैहौ भजन बिनु कीने।
धन-दौलत कछु काम न आवै, कमल-नयन-गुन चित बिनु दीने॥१॥
देखतकौ यह जगत सँगाती, तात-मात अपने सुख भीने।
ललितकिसोरी दुंद मिटै ना, आनँदकंद बिना हरि चीने॥२॥
मन पछितैहौ भजन बिनु कीने।
धन-दौलत कछु काम न आवै, कमल-नयन-गुन चित बिनु दीने॥१॥
देखतकौ यह जगत सँगाती, तात-मात अपने सुख भीने।
ललितकिसोरी दुंद मिटै ना, आनँदकंद बिना हरि चीने॥२॥