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मन पछितैहौ भजन बिनु कीने / ललित किशोरी

 
मन पछितैहौ भजन बिनु कीने।
धन-दौलत कछु काम न आवै, कमल-नयन-गुन चित बिनु दीने॥१॥

देखतकौ यह जगत सँगाती, तात-मात अपने सुख भीने।
ललितकिसोरी दुंद मिटै ना, आनँदकंद बिना हरि चीने॥२॥