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मन बावरे / मीना अग्रवाल

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आज मन ने
मेरी बात मानी है
आज समझा है वह,
नहीं गँवाएगा समय
व्यर्थ की बातें सोचने में,
जीवन में ऐसा तो
चलता ही रहता है मतभेद, विवाद,
अतिवाद, या फिर....
यही तो है जीवन !
अब मुझे विगत बातों को
कभी नहीं सोचना
कुछ करना है ऐसा
जो समाज में बने मिसाल,
बने नई पहचान !
इसलिए मन बावरे
तू आज मेरी बात को
ध्यान से सुन
और गुन
मत हो परेशान
बनाकर रख
अपना सम्मान !
यह तू जान ले
कि जो डरता है
दूसरों की ताकत से
वही डराता भी है दूसरों को !
इसलिए तू डर मत
निर्भय होकर
आगे बढ़
ऊँचाइयाँ चढ़ अनुभव की
झालर में नव जीवन गढ़ !