भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मन री नदी / सांवर दइया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आंधी
बोळी
गूंगी
छतां लखणा री लाडी
     आ मिजळी सदी

जंगळ सूं जुड़िया
लोभ रा लाडू
     काटां-बाटां-खावां
     थे-म्है-स्सै

कारखानै री सूगली नाळियां
          गिंधावतो पाणी
चिमन्यां सूं निकळतो धूंवो
अमूजतो आभो
धांसतो-खून थूकती हवा

मैला गाभा
मैलो तन
मैली आंख
मैली मन री नदी !