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मन री नदी / सांवर दइया
Kavita Kosh से
आंधी
बोळी
गूंगी
छतां लखणा री लाडी
आ मिजळी सदी
जंगळ सूं जुड़िया
लोभ रा लाडू
काटां-बाटां-खावां
थे-म्है-स्सै
कारखानै री सूगली नाळियां
गिंधावतो पाणी
चिमन्यां सूं निकळतो धूंवो
अमूजतो आभो
धांसतो-खून थूकती हवा
मैला गाभा
मैलो तन
मैली आंख
मैली मन री नदी !