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मन रो लोभ / ओम पुरोहित कागद
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मेह
आंधी
दिन अर रात
एक टांग
नी रैवे खड़्यौ
लोभी मिनख
भंवतो फिरै
खेत-घर
घर-खेत
खेत में ऊभौ कर
मन रो लोभ
अड़वै रै मिस।