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मया ल नई पहिचाने / पीसी लाल यादव

मया ल नई पहिचाने,
मयारूक होके दरद नई जाने।

तोर बात पतिया के, करेंव तोर ऊपर भरोसा,
तोर बर गर दियेंव, तभो दिए तैंहा धोखा।

मया ल माटी कस साने रे,
मया ल नई पहिचाने।

मोर आँसू के गम नहीं, तैं तो रहा हाँसी-खुसी,
तोर सुरता के संग जी के, पहा जही मोर जिनगी।

मया ल रब्बड़ कस ताने रे,
मया ल नई पहिचाने।

मोला बिसवास हे अतका, एक दिन लहुट आबे,
तब को जनी तुलसी ल, हरियर पाबे के नई पाबे।

मोर बात बिगित नई माने रे,
मया ल नई पहिचाने।

चार दिन के हाँसी-खुसी, जिनगी हे चरदिनिया।
मया बिन जिनगी सुन्ना, मरघट हे सरी दुनिया

येला कोनो च कोनो जाने रे,
मया ल नई पहिचाने।