गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Last modified on 21 मार्च 2015, at 11:29
मरघट की होऊँ डाकिन रे बनदेवा / पँवारी
चर्चा
पँवारी लोकगीत
♦
रचनाकार:
अज्ञात
लोकगीतों की भाषा चुनें
अवधी
कन्नौजी
कश्मीरी
कुमाँऊनी
खड़ी बोली
गढ़वाली
गुजराती
गोंड
छत्तीसगढी
निमाड़ी
पंजाबी
बाँगरू
बांग्ला
बुन्देली
ब्रजभाषा
भदावरी
भोजपुरी
मगही
मराठी
माड़िया
मालवी
मैथिली
राजस्थानी
संथाली
संस्कृत
हरियाणवी
हिन्दी
हिमाचली
देखें
मरघट की होऊँ डाकिन रे बनदेवा
बठू भौजी की कोख रे बनदेवा
गौवा चराऊं मखऽ नींद नी आवत।।