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मरण / आग्नेय
Kavita Kosh से
कुछ लोग जीते रहते हैं
आगे के समय में
मर जाने के लिए
अब तक मैं कैसे जीता रहा हूँ
जब पिछले समय में
मर चुका हूँ
कई-कई बार
जिससे तुम अब मिलती हो
वह मैं नहीं
मेरा प्रेत है
मैं ऎसा प्रेत हूँ
जिसे न जाने
क्यों तुम प्रेम मानने से
अस्वीकार करती हो
बार-बार
क्या तुम मुझे
एक प्रेत की तरह भी
जीने नहीं दोगी
अपने संसार में?