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मलिया के अँगना मे, रिमझिम बूँद हे / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मलिया के अँगना में, रिमझिम बूँद हे।
भींजला से कवन बाबू, मौरिया सहित हे॥1॥
मौरिया जे धरिहऽ हो बाबू, ससुरजी चौपरिया<ref>चौपार; वह मकान, जो चारों तरफ से बना हो और बीच में आँगन हो</ref> हे।
घुरूमि घुरूमि<ref>घूम-घूमकर</ref> हो बाबू, करिहऽ सलाम हे॥2॥
बभना के अँगना में, रिमझिम बूँद हे।
भींजला से कवन बाबू, चनना<ref>चंदन</ref> सहित हे॥3॥
चनना जे धरिहऽ हो बाबू, ससुरजी चौपरिया हे।
घुरूमि घुरूमि हो बाबू, करिहऽ सलाम हे॥4॥
दरजी के अँगना में, रिमझिम बूँद हे।
भींजला से कवन बाबू, जोड़बा सहित हे॥5॥
जोड़बा से रखिहऽ हो बाबू, ससुरजी चौपरिया हे।
घुरूमि घुरूमि हो बाबू, करिहऽ सलाम हे॥6॥
मड़बरिया के अँगना में, रिमझिम बूँद हे।
भींजला से कवन बाबू, धोतिया सहित हे॥7॥
धोतिया जे रखिहऽ हो बाबू, ससुरजी चौपरिया हे।
घुरूमि घुरूमि हो बाबू, करिहऽ सलाम हे॥8॥

शब्दार्थ
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