भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मशीन लाओ पापा / रमेश तैलंग

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अमरीका जाओ या चीन जाओ पापा।
होमवर्क करने की मशीन लाओ पापा।

सारा-सारा दिन तो
स्कूल में गुजरता।
होमवर्क करने को समय कहाँ बचता?
टीचरजी को जाकर समझाओ पापा।

काम नहीं पूरा हो
तो पिटाई झेलो,
कोई नहीं कहता कि
जाओ, भाई खेलो।
सोचो, सोचो, कुछ चक्कर चलाओ पापा।
होमवक्र करने की मशीन लाओ पापा।