महाप्रलय / निदा नवाज़
मैं देख लेता हूँ
अपने ही रक्षक की आँखों में
उमड़ आई
जनरल डॉयर की सी
क्रूरता
मैं पढ़ लेता हूँ
आतंकवादी की जेब में पड़े
धर्मग्रन्थ में छुपी
एक पूरी हिट-लिस्ट
मैं खोज लेता हूँ
राजनेताओं की
सफे़द पोशाक के पीछे छुपे
देश के दलाल
मैं सुन लेता हूँ
गर्भ में गूंजती
लड़की के भ्रूण से निकली
एक दर्दनाक चीख
(आधुनिक यंत्रों की सभी
सीमाओं को चीरती )
संविधान के पन्नों से
टकराती हुई
मैं सूंघ लेता हूँ
श्रमिक की हथेलियों पर
उभर आये एक-एक
रिस्ते छाले की
ख़ुशबू
मैं भांप लेता हूँ
बाँझ लोकतंत्र के गलियारे से
संसद में घुस आने वाले
काले सांप का केसरी इरादा
मैं पूछ लेता हूँ
क्रॉस फ़ायेरिंग में मारे गये
निर्दोष लड़के का पाप
मैं आंक लेता हूँ
फ़र्जी झड़प से प्राप्त
सेना मैड़ल का
मूल्य
मैं भोग लेता हूँ
गोलियों में बदलते
तस्बीह के दानों
और बंदूक में बदलती
ईश्वर की पीड़ा
आश्चर्य है मुझे
मैं कैसे सुरक्षित हूँ
इस महाप्रलय के बीच
पलकों के पीछे छुपाये
एक पूरे महासागर का रहस्य.