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महाराणा प्रताप री प्रशंसा में / कन्हैया लाल सेठिया
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1.
अकबरियो दिवलै जिस्यो, बण्या पतिंगा राजवी
लौ कांपी बाजी जणा, पून राण प्रतापसी
2.
लीन्या सै नै चूंख, भंवरो बण अकबर जवन
पण चंपक रो रूंख, रहियो राण प्रतापसी
3.
अकबर नदी अथाह, मझ डूब्या रजपूत सै
जद दी आडी पाह, परबत बण प्रतापसी