महारानी / नंद चतुर्वेदी
हमारे गाँव आई हैं महारानी
हमारे गाँव आये हैं सिपाही कोतवाल
महारानी आप हमारे दुखों से दुबला गयी हैं
आपके सिपाही कोतवाल मेहरबान हो गये हैं
माँ बाहर आओ
हमारे गाँव आई हैं महारानी
देखो, माँ, देखो आई हैं महारानी
हमारे कुए सूख गये हैं यह मत बताना माँ
हमारी गरीबी से डराना मत उन्हें
हमारा दुख सुनकर झन्ना उठेगा कलक्टर
कहेगा ‘ये साले गाँव वाले.....’
महारानी पैदल नहीं चलती माँ
परियों की तरह उतरती हैं आकाश मार्ग से
पैदल चलने के लिए हम हैं न
पहाड़ों पर हैं न हमारे लिए लकड़ियाँ
धूप में जला-अधजला
हमारा जीवन
आज तुम्हें बात-बात पर हँसना पड़ेगा माँ
आज तुम बात-बात पर सिर हिलाओगी
महारानी हमारा गाँव देखने आई हैं
ठेकेदार आया है पुल बनाने
गोरी मेम बगीचा लगाने
वह कहती है ‘सब तुम्हारे लिए मेरे बच्चों।’
तुम सोच ही नहीं सकती माँ
महारानी की तपस्या उनके व्रत-उपवास
ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा
कितनी-कितनी परिक्रमायें गिरिराज महाराज की
उन्हें कितनी चिंता है माँ
आम्रकुंजों, कमल ताल, माधवी लताओं की
हमारे खेजड़े, बबूल, नीम, पीपल अनायास हरे हैं
कहीं भी, तपती रेत में, ऊबड़-खाबड़ पहाड़ों पर
हमें देखने, हमसे मिलने हमारी राजी-खुशी पूछने
वे राज-भवन छोड़कर हमारे इलाके में आयी हैं
उनकी मोटरें इमलीवाले बाग में खड़ी हैं
हमारे लिए वे पदयात्रा करती हैं माँ
नहीं, नहीं महारानी आप माँ की बातों पर चित्त न दें
वे बूढ़ी हैं
हमारे घर में साँप के बिल हैं
हम अँधेरे अकाल की पगडंडियों पर चलते हैं
मौत की चिड़िया हमारी ‘टापरी’ पर गाती है
उन्हें कह मत देना माँ यहाँ रहो रातभर
यहाँ सो जाओ हमारे माचे पर
देखो, माँ देखो, अपने ओढ़ने में से
जहाँ छेद न हो वहाँ से
थोड़ा-सा हँसो माँ
वे पूछती है ‘कशाँ छो काकीजी’ अपनी हाड़ौती में
नहीं माँ नहीं वह उत्तर नहीं जो हमारे ललाट पर लिखा है
हमारे नाम का चिरपरिचित दुख
अपनी गाय के पास खड़ी रहो
कल अखबार वाले इस पशुधन की खबर छापेंगे
तुम महारानी के साथ छपोगी
जल्दी करो, माँ, जरा जल्दी
हमारे गाँव का महारानी का समय समाप्त हो गया है
पुनश्च:
महारानी सहस्त्रों गाँवों पर उड़ती क्षुधित चीलें
सहस्त्रों गाँवों पर उड़ते पर्वताकार दुःख के बादल
आपको रोज नजर आते होंगे
रोज नजर आते होंगे
स्त्रियों के अधनंगे वक्ष अधखुली जंघायें
पुरूषो की तपेदिक वाल छातियाँ
आवारा कुत्तों की तरह भागते भटकते दीन-हीन लड़के
उदास पत्तों सी, खिन्न, निष्प्राण लड़कियाँ
महारानी ये आपके किस यात्रा के एलबम में नजर आयेंगी ?
यह सवाल आप के कृपापात्र दरबारी पूछने नहीं देंगे
महारानी हमारे गाँव में जब आग धधकती है
आप हमारे गाँव तब तो नहीं आती !