भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

माँगने से नहीं मिलती शांति / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

माँगने से
नहीं मिलती शांति
न खरीदने से मिलती है
पुरुषार्थ से
मृत्यु के हाथ से मिलती है
राष्ट्र के नय से मिलती है
जय के बाद
निर्विवाद

रचनाकाल: १३-१०-१९६५