माँ-बाबू के याद / माधवी चौधरी
माँ-बाबूजी रँ कहाँ, ई दुनिया मेॅ कोय।
जें हिनका पूजै बहिन!, ऊ गणेश रँ होय।।
आबै छै हमारा बहिन, माँ-बाबू के याद।
ढाल बनी केॅ साथ छै, हिनकोॅ आशीर्वाद।।
माय घरोॅ के नाव छै, बाबू छै पतवार।
दोनों सेॅ आगू बढै, बिना विघ्न परिवार।।
आँचल दै छै माय के, मामता के रोॅ छाँव।
बाबूजी परिवार लेॅ, अपनापन के ठाँव।।
बहिन! मिलै छै भाग सेॅ, माँ-बाबू के साथ।
गाछ बीज केॅ छै करै, चलै पकड़ने हाथ।।
एक्के बाबू माय छै, एहनो पालनहार।
स्वारथ नै छै मोन मेॅ, सिर्फ बसै छै प्यार।।
पालै छै संतान केॅ, दै छै जीवन ज्ञान।
माँ-बाबू दोनों छिकै, धरती के भगवान।।
माँ लोरी के सुर छिकै, बाबू जी फटकार।
दोनों के अंतर बसै, बच्चा खातिर प्यार।।
माँ-बाबू संसार मेॅ, नेहोॅ के प्रतिरूप।
संतानोॅ केॅ छाँव दै, अपने झेलै धुप।।
चाहे जीवन मेॅ रहे, बहिना! हर्ष-विषाद।
मिटतै नै ई मोॅन सेॅ, माँ बाबू के याद।।