घर में एक ही तसवीर है श्वेत-श्याम
जिसमें लक्ष्मण झूले पर पिता
गलबाँही डाले माँ के साथ हैं
नुकीले नहीं लगभग गोल नोक-कॉलरवाली
कमीज पहने हैं पिता किसी रंग की
जो तसवीर में श्वेत लग रही है
साँवली पृथ्वियों-टँकी साड़ी
पहने हैं माँ
जो अब फैशन या चलन में नहीं है
ऐसे उम्र में है यह युगल
जब साँवलापन
गोराई को भी मात करता है
स्मिता पाटील-सी सांद्रता लिए माँ
पिता शत्रुघ्न सिन्हा-सी जुल्फें उड़ाते
हिंदी फिल्मों के कोई पात्र लग रहे हैं
प्रेम की ओट किए
तना है पृष्ठभूमि में ऋषिकेश का वितान
गालों की ललाई को छुपाती
अपनी ही पुतलियों की सलज्ज रोशनाई में माँ
पिता की ओर झुकती हुई डूबी है जितना
कैमरा उसे
कैप्चर नहीं कर सका होगा
कदीम कस्बे की बंदिशें तमाम
बही जा रही हैं टुकड़ा भर गंगा की तरह
दोनों के बीचोबीच से हरहर
यह तसवीर अब धरोहर है
इसी श्वेत-श्याम तसवीर में से
चुनती रहती है माँ
कुछ रंग बिरंगे पल अकसर
पिता से बिछड़ जाने के बाद।