कब मुझको है
जरूरत पैसे की
वो जानती थी
चुप चाप २ रुपये मेरे हाथ मै धर देती थी
आज मुझको समझ आया
१० की सब्जी ८ में
कराने को
वो सब्जी वाले से
क्यों झिकझिक करती थी
कब मुझको है
जरूरत पैसे की
वो जानती थी
चुप चाप २ रुपये मेरे हाथ मै धर देती थी
आज मुझको समझ आया
१० की सब्जी ८ में
कराने को
वो सब्जी वाले से
क्यों झिकझिक करती थी