माँ की याद / मंगली आला शायर
बच्चपन म्हं सुणाया करती कहानी मनै के वे मीठी-मीठी याद लिखू
मनै सुवाण खातिर तू रात भर जाग्या करती के वे काली-काली रात लिखू
के तेरे ऊपर लिखण खातिर बहुत कुछ है मेरे दोरै
मैं इस चाँद की नीचै बैठ के माँ ए तेरे ऊपर पूरी किताब लिखू
देलिया म्हं बैठया बाट देखू हूँ तेरी माँ ए कद-सी आवगी तू
एक रोज का भूखा हूँ मैं माँ ए कद-सी आ अपने हाथा तै खवावगी तू
बस तेरा प्यार पाणा चाऊ हूँ
माँ ए कद-सी आ मनैं अपनी छाती कै लगावगी तू
जब मेरे ऊपर दुःखा का पहाड़ टूटया माँ ए तेरी याद आई
चूले ऊपर रोटी बनाऊ था थोड़ी काच्ची रहगी माँ ए तेरी याद आई
गाल म्हं को जाऊ था माँ बेटे का प्यार देख के माँ ए तेरी याद आई
तेरी फोटो देख मेरी आँख्या म्हं आँसू आगे माँ ए तेरी याद आई
जब तू थी तो सब कुछ था तेरे जाया बाद सब कुछ खो-सा गया
या दुनिया ताने मारै है तेरे बेटे पै तेरे जाया बाद मैं अकेला हो-सा गया
खो-सा गया इस अनजान दुनिया म्हं मैं फेर भी तनै
इस दुनिया के कोने-कोने म टोऊ सूं
जब भी तेरी याद आवै है तेरी फोटो नै छाती कै लगाके माँ ए मैं ठाडू-ठाडू रोऊ सूं