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माँ की वापसी / मुकेश नेमा
Kavita Kosh से
बेटियाँ
जल्दी ही बहुत
माँ हो जाती हैं
अपने पिता की
ना लेने पर,
दवा समय पर
डपटती हैं
वात्सल्य भाव से
करती हैं चिंता
समय पर
यदि ना आ सके आप घर
जागती है देर रात
बनाने के लिये रोटियाँ
वही तो है जो
करती नहीं ग़लती
चेहरा पढ़ने में आपका
व्यथित हमारे हारने पर
और गर्वित
उपलब्धियो पर हमारी
भान कराती हैं हमेंशा
कि रखने हमारा ध्यान
आ गयी है वापस माँ