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माँ ने कहा / आनंद बख़्शी
Kavita Kosh से
माँ ने कहा मुझसे सदा
तू फूल मेरा मेरा चाँद है
ना चाँद ना फूल हूँ
रस्ते की मैं धूल हूँ
माँ ने कहा छाए घटा
तो बरसे पानी ये पानी मगर
आँखों में क्यूँ आ गया
बादल कहाँ छा गया
कितनी बड़ी है ये दुनिया मैं कितना अकेला
बिल्कुल अकेला मैं टूटे खिलौनों से खेला
ये कैसा जीवन मिला मुझको ख़ैरात में