भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
माँ / अनिल कुमार सिंह
Kavita Kosh से
माँ
एक भरी हुई थाली का नाम है
मैं सोचता था
जब मैं बहुत छोटा था
आज मैं बड़ा हो गया हूँ
और सोचता हूँ
कि मैं ग़लत सोचता था।