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माँ / रसूल हम्ज़ातव / सुरेश सलिल
Kavita Kosh से
बारह बरस पहले मरा
मेरा बड़ा भाई
स्तालिनग्राद के युद्ध मैदान में
बूढ़ी माँ मेरी
उसके शोक से उबर नहीं पाई
अब तक नज़र आती है उसी परिधान में ।
भर उठती है
ख़ीज और क्लेश से
सोच कर कि अब मैं बड़ा हूँ उससे
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल