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मां हम सबकी / लीलाधर मंडलोई

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बचपन में सुनी थी
रानी दीमक की कहानी
रानी दीमक यानि रानी मां

मां हम सबकी भी
लेकिन रानी नहीं
न पति के राज में
न उसके बाद

उसके लिए तो
वृंदावन धाम जलता हुआ

जहां कृष्‍ण बांसुरी बजाता है