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माइकिल एंजिलो की पहली बहन / अग्निशेखर
Kavita Kosh से
वह कातती है धागा
ठहरी हुई चीज़ों के लिए वह कातती है गति
दौड़ पड़ते हैं बच्चे
उड़ती हैं चिड़ियाँ
हरी घास की तरह फैलती है मुस्कान
यादें खोलती हैं पंखुड़ियाँ
उसके धागे कातने से बजता है समय
मैं सुनता हूँ अपने भीतर
कातने की आवाज़
जो उतरने लगती है काग़ज़ पर
सघन कविता की तरह
माइकिल एंजिलो, मैं तुम्हारी बहन से
करता हूँ प्यार
वह मुझे कात रही है महीन