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माणस रो परस / ओम पुरोहित कागद
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आज भळै
जम’र होई बिरखा
पाणी रा बग्या बा’ळा
काळीबंगा री गळियां में
नीं आयो
भाज’र कोई टाबर
हाथां लियां
कागद री नाव
हवा ई ल्याई
उडाय’र
एक पान्नो
अखबार रो
थेड़ नै मिलग्यो
माणस रो परस।