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मातृभूमि/ अनन्या गौड़
Kavita Kosh से
युद्ध मातृभूमि के लिए होते आए है, होते रहेंगे
देश पर मिटने वाले हर दिल में जीवित रहेंगे।
अमर हो जाना यूँ किसी के वश की बात नहीं
प्राण आहुति देने वाले माटी में समाहित रहेंगे
साक्षी रहेगा इतिहास, वीरों की क़ुरबानी का
लहु के रक्तिम कतरे स्मृति में संचित रहेंगे
महकती समर भूमि शहादत के पलाशों से
सिपाही देश के सरहद तक न सीमित रहेंगे
हो जाएँगे खाक कट जाएगा मस्तक हमारा
तिरंगे की फिर भी आन बान सहित जियेंगे
परिवर्तित होगा समय हवाएँ रुख बदल लेंगी
चर्चे सपूतों के युगों-युगों तक सर्वविदित रहेंगे