मादाम और उनकी मादाम / लैंग्स्टन ह्यूज़ / अमर नदीम
मैं एक महिला के यहाँ काम करती थी,
वो बुरी नहीं थी —
पर उसका घर था बारह कमरों का
जिसकी सफ़ाई करनी होती थी ।
नाश्ता तैयार करना होता था,
शाम का खाना और रात का भी —
और उससे फ़ारिग होकर
करनी होती थी बच्चों की देखभाल ।
कपड़े धोना, इस्तरी करना, पोंछा लगाना,
कुत्ते को घुमाना —
ये सब बहुत ज़्यादा था
तक़रीबन तोड़ देता था मुझे ।
मैंने कहा — मादाम,
कहीं ऐसा तो नहीं
कि आप मुझे
एक लद्दू घोड़ा बनाना चाहती हैं ?
उसने मुँह खोला
और रूआँसी होकर बोली — अरे नहीं !
तुम जानती हो अलबर्टा,
कि मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ !
मैंने कहा — मादाम,
सही हो सकती है यह बात
पर अगर मैं आपको प्यार करूँ
तो फिर मुझे तो भगवान ही बचाए !
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : अमर नदीम
—
लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
Langston Hughes
Madam and Her Madam
I worked for a woman,
She wasn't mean—
But she had a twelve-room
House to clean.
Had to get breakfast,
Dinner, and supper, too—
Then take care of her children
When I got through.
Wash, iron, and scrub,
Walk the dog around—
It was too much,
Nearly broke me down.
I said, Madam,
Can it be
You trying to make a
Pack-horse out of me?
She opened her mouth.
She cried, Oh, no!
You know, Alberta,
I love you so!
I said, Madam,
That may be true—
But I'll be dogged
If I love you!