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मादा पाया / नचिकेता

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जिस-जिसकी पूँछ
उठाई उस-उसको मादा पाया ।

कुछ के शब्दों में
जलते अंगार भरे हैं,
कुछ के सारे ज़ख़्म अभी
तक पूर्ण हरे हैं,

कुछ के संगी-
साथी हैं जालिम सरमाया ।

कुछ तो पुरस्कार
पाने को लालायित हैं,
कुछ तो अपनी घोर उपेक्षा
से विस्मित हैं,

कुछ ने सत्ता के
जूतों को है चमकाया ।

कुछ हैं सत्ता के
विरोध की ध्वजा उठाए,
डोल रहे कुछ
चयन-समिति के दाऐं-बाऐं,

जमघट देख
जोकरों का मैं हूँ शरमाया ।

अकविता के श्रेष्ठ कवि धूमिल से अनुप्राणित