मानव की कीमत तभी,जब हो ठीक चरित्र।
दो कौड़ी का भी नहीं, बिना महक का इत्र॥
बिना महक का इत्र, पूछ सदगुण की होती।
किस मतलब का यार,चमक जो खोये मोती।
'ठकुरेला' कविराय, गुणों की ही महिमा सब।
गुण,अबगुन अनुसार,असुर,सुर,मुनिगन,मानव॥
मानव की कीमत तभी,जब हो ठीक चरित्र।
दो कौड़ी का भी नहीं, बिना महक का इत्र॥
बिना महक का इत्र, पूछ सदगुण की होती।
किस मतलब का यार,चमक जो खोये मोती।
'ठकुरेला' कविराय, गुणों की ही महिमा सब।
गुण,अबगुन अनुसार,असुर,सुर,मुनिगन,मानव॥