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मानुष प्रत्यय / विलियम ब्लेक

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यह कविता संगठित या संस्थागत धर्म के विरोध में लिखी गई। पेड़ का सांग रूपक स्पष्ट है। जहाँ तक प्रतीकों का प्रश्न है, काला कौवा मृत्यु का प्रतीक है और इल्लियाँ वग़ैरह clergy की। फल प्रतीक है नकारात्मक भावनाओं पर आधारित धर्म का। ऊपर से यह फल आकर्षक है, पर वस्तुत: घातक है। -- अनुवादक

दया का आस्पद न होगा कोई जन
बनाएँ हम यदि न उसको अकिंचन
और करुणा भी कहाँ उपजेगी जब
जैसे हम हैं वैसे ही हों सुखी सब

और पारस्परिक भय से शान्ति है
स्वार्थ-पोषित प्रेम जिसकी भ्रान्ति है
क्रूरता फिर डालती है जाल अपना
चार फैलाती है ख़ूब सँभाल अपना

ईश-भय से प्राप्त करती क्रूरता
दूसरों के आँसुओं की आर्द्रता
अश्रु-सिंचित भूमि में तब विनय-छल
जड़ जमाता क्रूरता के पाँव तल

पेड़ की छतरी गभीर रहस्य की
पत्र-अवली अंध तम-सी श्यामली
डाल पत्तों पर अनेकों पल रहे
कीट-इल्ली-शलभ, पात कुतर रहे

वृक्ष पर पैदा हुआ छल-छद्म का
रक्तवर्ण औ' स्वादु फल, मन को छला
और तरु के गहनतम कोने में जा
कृष्ण कौवे ने बनाया घोंसला

सर्वव्यापी देवगण संधान में -
कहाँ है यह वृक्ष प्रकृति-वितान में
पर हुए निष्फल सभी उनके यतन
पेड़ का आश्रय स्वयं मानुषी मन

अँग्रेज़ी भाषा से अनुवाद : शिव किशोर तिवारी


और लीजिए, अब पढ़िए यही कविता मूल अँग्रेज़ी में
The Human Abstract

Pity would be no more
If we did not make somebody Poor;
And Mercy no more could be
If all were as happy as we.

And mutual fear brings peace,
Till the selfish loves increase:
Then Cruelty knits a snare,
And spreads his baits with care.

He sits down with holy fears,
And waters the grounds with tears;
Then Humility takes its root
Underneath his foot.

Soon spreads the dismal shade
Of Mystery over his head;
And the Catterpiller and Fly
Feed on the Mystery.

And it bears the fruit of Deceit,
Ruddy and sweet to eat;
And the Raven his nest has made
In its thickest shade.

The Gods of the earth and sea
Sought thro' Nature to find this Tree;
But their search was all in vain:
There grows one in the Human Brain.

.—William Blake