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मान्य / मुंशी रहमान खान
Kavita Kosh से
मान्य बड़ा है जगत महँ बिनु विद्या नहीं होय।
अजर अमर विद्या अहै यह जानैं सब कोय।।
यह जानैं सब कोय राज पद विद्या देवै।
करै हृदय महं वास जगत को वश कर लेवै।
रहमान पढ़हु विद्या सुखद बढ़ै धर्म धन धान्य।
पैहौ सुख दुहुँ लोक महं होय सुयश बड़ा मान्य।।