कच्ची मिट्टी-सी होती हैं अच्छी बेटियाँ,
पकाई नहीं जाती आँच पर
गढ़ा जाता है उन्हें ताउम्र ज़रूरत के हिसाब से
फिर एक दिन बिखेर कर
कर दिया जाता है हवाले नए कुम्हार के
कि वह ढाल सके उसे अपने रूप में
मुँह में ज़ुबान नहीं रखती अच्छी पत्नियाँ
उन्हें होना चाहिए मेमनों की तरह
प्यारी, मासूम, निर्दोष, असमर्थ
जो ज़िबह होते हुए भी
समेटे हों आँखों में करुणा, क्षमा और प्रेम
अच्छी माएँ, निर्मित करती हैं परिवार का भविष्य
खींचने के लिए एक चरमराती गाड़ी
वह तैयार करती है बैलों को
ख़त्म कर देती है कोख में ही
कितनी धड़कनें
एकाध आँसुओं के अर्घ्य से
माफ करना मुझे,
कि मैंने नहीं सुनी तुम्हारी सीख
कि मुझे भी होना था
एक अच्छी बेटी, पत्नी या माँ
कि इन्हीं से बनता है घर
दरअसल मैंने सुन ली थी
उन घरों की नींव में दफ़न
सिसकियाँ और आहें,
कि मैंने समझ लिया था कि
उन दीवारों मे चुनी जाती हैं कई ज़िन्दा ख़्वाहिशें