भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मायमौरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

(1)

देव धामी ल नेवतेंव
उन्हूं ल न्योत्यों
जे घर छोड़ेन बारेन भोरेन
ता घर पगुरेन हो
माता पिता ल नेउतेन
उन्हू ल नेउतेन

(2)

हाथे जोरि न्यौतेंव मोर देवी देवाला
हो देवी देवाला
घर के पुरखा मन होओ सहाय…
बिनती करेंव मंय माथ नवायेंव
हो माथ नवायेंव
कर लेहो एला स्वीकार…

(3)

ठाकुर देवता के पईयां परत हव वो
पईयां परत हव के दुलरू के होई हव सहाय
हो देवता दुलरू के होई हव सहाय
वो तो दुलरू के होई हव सहाय
हो देवता दुलरू के होई हव सहाय

संकर देवता के पईयां परत हव वो
पईयां परत हव के दुलरू के होई हव सहाय
हो देवता दुलरू के होई हव सहाय
वो तो दुलरू के होई हव सहाय
हो देवता दुलरू के होई हव सहाय