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मायरा / 2 / राजस्थानी
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राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बाबासा रा बेटा बत्तीसी रे झेल बाई घर विरद उतावली जी।
म्हारे ये बाई जलमी छ धीय काकासा रो बेटो झेलसी जी।
काकासा रा बेटा बत्तीसी रे झेल बाई घर विरद उतावली।
म्हारे ये बाई जलम्यो छ पूत भूवा को बेटो झेलसी जी।
भूवा का बेटा बत्तीसी रे झेल बाई विरद उतावली।
म्हारे रे बाई बिणज रो काम बेनड़ को बेटो झेलसी जी।
बैनड़ को बेटा बत्तीसी रे झेल बाई घर विरद उतावली।
म्हारे ये बाई खेती रो काम जामण को जायो झेलसी जी।
जामण रा जाया बत्तीसी रे झेल बाई घर विरद उतावली।
कद को ये बाई जोवे छो बाट म्हारी मांकी जाई आवसी जी।
थारे ये बाई दमड़ा रो लोभ तू घर घर फिरी ये उतावली।