मायरा / 3 / राजस्थानी
देवर ल्यावो-ल्यावो न कलम दवात, लिखो न बत्तीसी, म्हांरा बीरां न जी।
भाभी आवो-आवो न बैठो म्हारे पास, कांई लिखा थारा भातई जी।
देवर लिखे-लिखे म्हारा जलहर जामी बाप, और राता देई मायड़ी जी।
देवर लिखदो-लिखदो म्हारा काका ताऊ, साथ काकी तो लाया रा झमकाजी।
देवर लिख द्यो-द्यो म्हारां कानुड़ा सा बीर, और चुड़ला री म्हारी भौजाई जी।
देवर लिख द्यो-द्यो म्हारी संजा, बहन और बहनोई म्हारां भानजा जी।
घण सूती-सूती ओवरी रै मांय, सुसराजी मुसलो राल्यो जी।
बहू आया-आया जिठानी रा बीरा, थारो धण देऊ बीरो घर रह्यो जी।
जेठजी अबला-अबला सा बोलो न बोल, आवैगो म्हारी मां को जायो बीर जी।
घण ऊबी-ऊबी रसोई रे मांय, देवर मुसलो राल्यो जी,
भाभी आया दोरानी रा बीर, थोरो धण देऊ बीरो न आयो जी।
देवर जी अबला-अबला बोलो जी बोल, आवैगो म्हारी मां को जायो बीर जी।
घण सूती-सूती छै रंग महलां रे मांय, राजन मुजरो राल्यो जी।
गौरी जांका-जांका थे करती जी गुमान, बीर बत्तीसी ले गयो जी।
मैं तो मरूं जी राजन, अमल विषै खाय, राजन मुसलो राल्यो जी।
घण सूती-सूती रंग महलां रै मायं, बाई जी आकर जगाइया जी।
भाभी ऊठो-ऊठो आरतो संजाये, बाहर ऊबा थारां भाई भतीजा जी।
बाई जीयांकी-जीयांकी ले ऊं मै बलायै, दाख चिरौंजी से थांको मुख भरूं।
बाईजी देस्यूं-देस्यू जी चून्दड़ रो बेस, और रेशम री बाई जी कांचली जी।
बाई जी देस्यां-देस्यां जी छोटी बीरो, साथ-साथ पूछावस्यां जी।
भाभी थे भी-भाभी थे तो तो जणजो जी पूत, नौपत बाजे जलवा पूज जो जी।
बाई जी थे भी- बाई जी थे भी तो आजो म्हारै बार, साक्यां म्हारै पूर जो जी।
भाभी आवां- भाभी आवां थारै बार, साथ्यां थाकै पूरस्यां जी।