भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मारना / उदय प्रकाश

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आदमी
मरने के बाद
कुछ नहीं सोचता.

आदमी
मरने के बाद
कुछ नहीं बोलता.

कुछ नहीं सोचने
और कुछ नहीं बोलने पर
आदमी
मर जाता है.