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मारो न इस को ऐसे, इस पर न खाक डालो / शिवशंकर मिश्र

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मारो न इस को ऐसे, इस पर न खाक डालो
यह देश है तुम्हारा, इस देश को बचा लो

सीने में तेरे भी है, मेरे भी, उस के भी है
यह तीर जो गड़ा है, इस तीर को निकालो

उन कुर्सियों के गद्दों में बात कुछ है ऐसी
वे और भी चिपकते, जितना उन्हें उछालो

बेकस है, बेजबाँ है, रस्सी बँधी गले में
जनता है भींगी बकरी, मारो बनाओ खा लो

कानून रद्द करते, कानून हैं बनाते
कानून टूटता है, कानून को संभालो

जब इतना हो अँधेरा, हो राह जंगलों की
यों खाली हाथ हरगिज घर से नहीं विदा लो

भगवान है कहीं तो, जो मानते खुदा को
‘मिशरा’ दुआ करो, इन नेताओं को उठा लो