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मा सिव भगवान है / राजूराम बिजारणियां
Kavita Kosh से
चूल्हो उडावै
साव ठण्डी राख।
मटकी सूक्या होठ
पळींडो मरतो तिरसो
लेवड़ा कूदै भींत
थळी लकोवै मूंडो।
बोल..
ताता.!
विचार..
गळूंचिया खावता.!
आंगण सूं
घूंघटो काढती साळ
अधखुल्ला किवाड़
किवाड़ रै पल्लै
झरतो ज्हैर.!
आंगणों डरपै
नींव दरकै
पण मा..
आंख मींच
जाड़ भींच
पी जावै ज्हैर
आंगणैं नै
जोड़ण सारू
साळ सूं।
मा
कींकर कम है
सिव भगवान सूं.?