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मिथिलाक बेटी / कालीकान्त झा ‘बूच’

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सीता केॅ सितिया बनौलक सौभाग्य हमर
रघुपति केॅ महुअक करौलक अनुराग हमर
मिथिला केर धरती अकाशो सँ ऊॅच जतऽ
जगदम्बे दुलरैतिन दाइ
जतऽ पुरूषोत्तम रामे जमाइ...
हमर उरमिलिया सनि जनमलि कक्कर कन्या?
जकरा सँ तिरहुत की? अवधो भेलै धन्या,
कोन सतवंती सँ संवल लऽ लखन लाल,
काले पर कयलनि चढ़ाई
इहो बात भने मोन पड़ल आइ...
सूर्यवंश वैभव लग तुच्छ इन्द्रआसन छल
ताहि त्यागि योगासन पूर्ण अनुशासन छल
भरत भक्ति दिव्य दीप जगमग जग कऽ उठलै,
माण्डवीक सेवा सलाइ
वास लेला नंदिग्रामे जमाइ...
अखिल भुवन विजयी भऽ शंकर आदिगुरू बनलनि,
महिषी मे आवि मंडन केॅ मर्दित कयलनि
मुदापस्त भऽगेलथि मिथिलाक बेटी सँ
शारदा बनलि भारती दाइ
गर्वित मिथिला भूमि आइ...