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मिनख : दोय / दुष्यन्त जोशी

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रूंख
फळ देवै
छियां देवै

पौधा
फूल देवै
मै'क फैलावै

धरती
धान देवै
अर नद्यां
पाणी देवै

आपां
प्रकृति सूं सीखां
जीवां नै
मिनख ज्यूं दीखां।