मिरी ख़ातिर ये नादानी करोगे।
तुम अपनी आँख को पानी करोगे।
मिरी टोपी की क़ीमत पूछते हो,
मिरे तुम दर की दरबानी करोगे।
उतर कर दिल से खंजर पूछता है,
कहो किसकी सनाख़्वानी करोगे।
जुनूँ हद से गुज़रता जा रहा है,
तुम अब सहरा में सुलतानी करोगे।
अदावत में बहुत कुछ कर चुके हो,
मुहब्बत में भी मनमानी करोगे।
फलों से शाख अब झुकने लगी है,
कहाँ तक तुम निगहबानी करोगे।