भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मिरे अफ़्कार को इम्क़ान देना / शीन काफ़ निज़ाम

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मिरे अफ़्कार को इम्क़ान देना
मुझे अल्फाज़ की पहचान देना

जुदाई के ज़माने आ रहे हैं
हमारे इश्क़ को इरफ़ान देना

जलेंगे रात भर सूरत दीये की
सहर दम हमको भी है जान देना

सुना है ज़िंदगी है चार दिन की
जो देना हो इसी दौरान देना