Last modified on 13 अक्टूबर 2009, at 20:23

मिरे अफ़्कार को इम्क़ान देना / शीन काफ़ निज़ाम

मिरे अफ़्कार को इम्क़ान देना
मुझे अल्फाज़ की पहचान देना

जुदाई के ज़माने आ रहे हैं
हमारे इश्क़ को इरफ़ान देना

जलेंगे रात भर सूरत दीये की
सहर दम हमको भी है जान देना

सुना है ज़िंदगी है चार दिन की
जो देना हो इसी दौरान देना