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मिला जो यान वो टूटा हुआ मिला मुझको / विनोद तिवारी
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मिला जो यान वो टूटा हुआ मिला मुझको
बड़ा दुरूह-विकट रास्ता मिला मुझको
अजीब शोर था नारों का एक जंगल था
सुनहरे कल का न कोई पता मिला मुझको
शहर में आप भी हैं रौशनी में रहते हैं
शहर में मैं भी हूँ अन्धा कुआँ मिला मुझको
तलाशता रहा वर्षों से मन की निर्मलता
सफ़ेदपोशों का मन साँवला मिला मुझको
जीया हूँ और है जीने की आरज़ू बाक़ी
जहाँ भी चोट लगी हौसला मिला मुझको