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मिलौ न चाहें तुम कबौं / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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मिलौ न चाहें तुम कबौं, करौ भलें मति याद।
नित्य याद मोकूँ रहौ, छिन भर जाय न बाद॥
दे‌उ दुःख मोकूँ अमित, करौं न कछु फरियाद।
बनी रहै मन में सदा तुहरी मीठी याद॥