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मिस्ल-ए-ख़याल आये थे आ कर चले गये / फ़ानी बदायूनी
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मिस्ल-ए-ख़याल आये थे आ कर चले गये
दुनिया हमारी ग़म की बसा कर चले गये
फूलों की आस दिल से लगाये हुए थे हम
काँटे वो रास्ते में बिछा कर चले गये
आयी न थी हमारे चमन में बहार अभी
वो ख़्वाब आशियाँ में लगा कर चले गये
भूले से भी कभी न दिल हम भुला सके
दिल से हमें वो अपने भुला कर चले गये