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मीठे में जहर / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित

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मीठा खाते हम लोग
फिर भी
मीठा नहीं बोलते
जब भी
बोलते हैं
जहर बोलते हैं
सरकार को कोसते हैं
कि
उसने यह किया
उसने वो किया
कभी नहीं झांकते
अपने गिरबान में
कि
बेटी भी
प्रॉपर्टी में पूरी हकरदार है
लड़का-लड़की
सब बराबर है
भ्रूण हत्या पाप है
बुजुर्गों की सेवा
सर्वोपरि है
अपाहिजों की मदद करो
शोषितों का कल्याण करो
बोलते-बतियाते सब हो
पर
बेशर्म इतने कि
दुर्व्यवहार में अव्वल
नौकरानी से गलत संबंध
टैक्स की चोरी
बच्चों से सीनाजोरी
और
ना जाने क्या-क्या
मीठा खाते हम लोग
जहर घोलते हैं